किसी ने क्या खूबसूरत जवाब दिया है
नींद आधी मौत है
और मौत मुकम्मल नींद है
ज़िन्दगी तोह अपने ही तरीकेसे चलती है
ज़िन्दगी तोह अपने ही तरीकेसे चलती है
औरो के सहारे तोह जनाज़ा उठा करते है
सुबह होती है शाम होती है
सुबह होती है शाम होती है
उम्र यु ही तमाम होती है
कोई रो कर दिल बहलाता है
और कोई हसकर दर्द छुपाता है
क्या करामत है कुदरत की
ज़िंदा इंसान पानी में डूबता है
और मुर्दा तैर के दिखाता है
अब ये ज़िन्दगी बस कंडक्टर सी हो गयी है
अब ये ज़िन्दगी बस कंडक्टर सी हो गयी है
सफर भी रोज का है और जाना भी कही नहीं है
सफर भी रोज का है और जाना भी कही नहीं है
– अरुण दोंदे
Beautiful. 🙂
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Thank you 🙂
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बहुत सुंदर
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